ओरियन अभौतिक विज्ञान शोध संस्थान

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ओरियन अभौतिक विज्ञान शोध संस्थान > 404

हम और पृथ्वी मूलतः एक हैं

ओरियन अभौतिक विज्ञान शोध संस्थान में आपका स्वागत है

इस वेब साइट के बारे में कुछ शब्द …

एक सम्वेदंशील मोड़ आपने यह अवश्य महसूस किया होगा कि पृथ्वी एक असामान्य स्थिति में है- बड़े पैमाने पर भूकम्प, ध्रुवीय हिमखंडों, हिम महाखड्डों का तेज़ी से पिघलना, बढ़ते हुए समुद्री जल स्तर, समुद्र के नीचे फटने वाले ज्वालामुखियों से बढ़ता हुआ समुद्री तापमान,इत्यादि. हमारी तथा पृथ्वी की नियति एक ही है. अतः हमें इस बात को गंभीरता से लेते हुए पृथ्वी को इस स्थिति से निकालने के लिये प्रयास करने शुरु कर देने चाहिये.

अभौतिक विज्ञान –इस स्थिति का निवारक आमतौर पर अभौतिक विज्ञान दर्शन सम्बंधित एक पारम्परिक शोध क्षेत्र है तथा यह भगवान का अस्तित्व, मरने के बाद का जीवन,ब्रम्हांड का आरम्भ इत्यादि भाववाचक विषयों से सम्बंधित शिक्षा क्षेत्र है. ये सभी विषय आसानी से परिभाषित नहीं किये जा सकते. यह वेब साइट इस क्षेत्र से सम्बंधित उच्च स्तर की जानकारी को सरल शब्दों में प्रस्तुत करती है. यह जापानी विशेषज्ञों द्वारा अभौतिक विज्ञान में किये गए प्रमुख योगदानों के बारे में अनमोल जानकारी देती है.

ओरियन नाम देने के दो कारण यूनानी मिथक में एक विशालकाय शिकारी माने जाने वाले ओरियन नक्षत्र (मृग नक्षत्र) में पहले स्तर के दो तारें हैं. एक है सबसे ऊपर बाँए तरफ का लाल तारा बेटेलगेयूस(Betelgeuse)और दूसरा है नीचे दाँए तरफ का नीला तारारिगेल(Rigel).पूर्वीय ज्योतिष विज्ञान के अनुसार हर व्यक्ति के 8 निर्धारित तारे होते हैं जोकि जन्मतिथि के अनुसार होते हैं. मेरे विषय में इन 8 तारों में शमिल हैं 2 बेटेलगेयूस तारे तथा एक रिगेलतारा. इसके अतिरिक्त मेरी जन्मतिथि के अनुसार दो-दो अंतारेस (Antares) तथा सिरियस (Sirius) तारे भी हैं. अंतारेस वृशचिक नक्षत्र का मुख्य तारा है तथा सिरियस कनिस मजोरिस(CanisMajoris) नक्षत्र का मुख्य तारा है. ये दोनो ही नक्षत्र ओरियननक्षत्र से गहराई से जुड़े हुए हैं क्योंकि कनिस मजोरिस ओरियन का शिकारी कुत्ता है तथा ओरियन की मृत्यु देवी हेरा द्वारा छोड़े गए एक वृशचिक के कारण हुई थी. अर्थात मुझसे जुडें हुए 8 तारों में से 7 ओरियननक्षत्र से जुड़े हुए हैं. यह पहला कारण है.
ओरियन का पृथ्वी से गहरा सम्बंध है. ब्रम्हांड की रचना बहुत समय पहले हुई थी, जब पृथ्वी के आकाशीय रिकार्ड अंकित तक नहीं किये गए थे.उस समय संरचना करने वाले 24 भगवान अर्थात देवदूत थे. ओरियन इनमें से एक है. उसने उस समय से लगातार पृथ्वी में गहरी रुचि बनाए रखते हुए उस पर नज़र रख रखी है. यह दूसरा कारण है..

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